सार
अब अस्तित्व में आई दिल्ली नगर निगम में वार्डों की संख्या अधिकतम 250 तय की गई है। इस तरह वार्डों का नए सिरे से परिसीमन किया जाएगा। इसके बाद ही दिल्ली नगर निगम के चुनाव होंगे।
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विस्तार
अब अस्तित्व में आई दिल्ली नगर निगम में वार्डों की संख्या अधिकतम 250 तय की गई है। इस तरह वार्डों का नए सिरे से परिसीमन किया जाएगा। इसके बाद ही दिल्ली नगर निगम के चुनाव होंगे। दिल्ली नगर निगम के चुनाव नहीं होने तक उसके नीतिगत निर्णय लेने के लिए प्रशासक नियुक्त किया जाएगा। उधर दिल्ली नगर निगम में एक महापौर एवं एक आयुक्त होगा। इसी तरह अन्य प्रमुख पद भी एक-एक ही होंगे।
वर्ष 1958 में अस्तित्व में आया था निगम
दिल्ली नगर निगम अप्रैल 1958 में अस्तित्व में आया था। इस दौरान 11 स्थानीय निकायों और एक दिल्ली जिला बोर्ड का विलय करके नगर निगम का गठन किया गया था। नगर निगम में वर्ष 1958 से 67 तक केवल 80 वार्ड थे। वर्ष 1967 में वार्डों की संख्या 100 कर दी गई। इसके बाद वर्ष 1997 में वार्डों की संख्या बढ़कर 134 की गई और वर्ष 2007 में वार्डों की संख्या 272 तक पहुंच गई।
वर्ष 2011 में नगर निगम का विभाजन करके तीन निगम बनाई गई। इन तीनों निगम में भी वार्डों की संख्या 272 रखी गई। दूसरी ओर वर्ष 1958 से वर्ष 1990 तक छह व्यक्तियों को पार्षद के तौर पर मनोनीत करने का प्रावधान था और उन्हें जनता की ओर से चुने जाने वाले पार्षदों की तरह पूर्ण अधिकार होते थे। वर्ष 1997 में निगम में 10 व्यक्तियों को पार्षद मनोनीत करने का प्रावधान किया।
राज्यसभा ने पांच अप्रैल को दी थी मंजूरी
केंद्र सरकार ने दिल्ली नगर निगम अधिनियम संशोधन विधेयक-2022 को लोकसभा ने 30 मार्च और राज्यसभा ने पांच अप्रैल को मंजूरी प्रदान कर दी थी। राष्ट्रपति ने 18 अप्रैल को इस विधेयक को मंजूरी दी। इसके साथ ही यह विधेयक कानून बन गया। इसके बाद केंद्र सरकार ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी। केंद्र सरकार का इस संशोधन के पीछे मकसद संसाधनों का अधिकतम उपयोग, समन्वय एवं रणनीतिक योजना सुनिश्चित करना है।
आयोग गठित करने की कार्रवाई शुरू होगी
दिल्ली निगम अधिनियम संशोधन विधेयक-2022 के संबंध में अधिसूचना जारी होने के बाद अब दिल्ली नगर निगम में प्रशासक एवं वार्डों का परिसीमन करने के लिए आयोग गठित करने की कार्रवाई आरंभ होगी। इस तरह अगले साल की शुरुआत से पहले नगर निगम चुनाव होने की संभावना नहीं है। इतना ही नहीं, नई जनगणना के बाद परिसीमन की कवायद आरंभ करने की स्थिति में नगर निगम चुनाव एक साल से अधिक समय तक टल सकते है, क्योंकि जनगणना में अभी समय लगेगा। परिसीमन का कार्य में कम से कम छह माह समय लगने की संभावना है। उधर दिल्ली नगर निगम अधिनियम (संशोधन) विधेयक, 2022 अब एक अधिनियम बन गया है। इसके प्रावधानों को लागू करने के लिए केंद्र सरकार समय-समय पर आदेश जारी करेगी।