अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली
Published by: अनुराग सक्सेना
Updated Fri, 15 Apr 2022 06:08 AM IST
सार
डॉ. गौरव जैन ने बताया कि बुजुर्गों में होने वाली सबसे आम बीमारियों में से एक एओर्टिक वाल्व स्टेनोसिस बीमारी है। डिजेनरेटिव एओर्टिक वाल्व स्टेनोसिस 65 से ज्यादा उम्र के लगभग 5-7 फीसदी बुजुर्गों को होता है।
एक ही महीने में दिल और दिमाग की सर्जरी करने के बाद दिल्ली के डॉक्टरों ने बुजुर्ग महिला की जान बचाई है। द्वारका स्थित आकाश अस्पताल में भर्ती 65 वर्षीय महिला मरीज को मस्तिष्क और दिल से जुड़ी बीमारी की वजह से भर्ती किया गया था।
इस साल फरवरी में हाई रिस्क वाली पहली ब्रेन सर्जरी हुई थी। इस दौरान मरीज में एक दुर्लभ हृदय की बीमारी का पता चला। चूंकि, डॉक्टर ओपन-हार्ट सर्जरी करने में असमर्थ थे, क्योंकि हेपरिन (खून को पतला करने वाला) से ब्रेन हेमरेज हो सकता था। ऐसे में एक महीने के अंदर मरीज के दिल को बचाने के लिए ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट (टीएवीआर) किया गया।
अस्पताल के वरिष्ठ डॉ. अभय कुमार ने बताया कि दो अप्रैल को टीएवीआर प्रक्रिया की गई। लगातार दो बड़े ऑपरेशन का मामला काफी दुर्लभ है। इस तरह के मुश्किल केस में बुजुर्ग महिला की जान बचाने के लिए न्यूरोलॉजिस्ट और कार्डियोलॉजिस्ट की स्पेशलिस्ट टीमों का साथ में मिलकर काम करना बहुत जरूरी है।
डॉ. गौरव जैन ने बताया कि बुजुर्गों में होने वाली सबसे आम बीमारियों में से एक एओर्टिक वाल्व स्टेनोसिस बीमारी है। डिजेनरेटिव एओर्टिक वाल्व स्टेनोसिस 65 से ज्यादा उम्र के लगभग 5-7 फीसदी बुजुर्गों को होता है।
विस्तार
एक ही महीने में दिल और दिमाग की सर्जरी करने के बाद दिल्ली के डॉक्टरों ने बुजुर्ग महिला की जान बचाई है। द्वारका स्थित आकाश अस्पताल में भर्ती 65 वर्षीय महिला मरीज को मस्तिष्क और दिल से जुड़ी बीमारी की वजह से भर्ती किया गया था।
इस साल फरवरी में हाई रिस्क वाली पहली ब्रेन सर्जरी हुई थी। इस दौरान मरीज में एक दुर्लभ हृदय की बीमारी का पता चला। चूंकि, डॉक्टर ओपन-हार्ट सर्जरी करने में असमर्थ थे, क्योंकि हेपरिन (खून को पतला करने वाला) से ब्रेन हेमरेज हो सकता था। ऐसे में एक महीने के अंदर मरीज के दिल को बचाने के लिए ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट (टीएवीआर) किया गया।